"बड़ी सोंच" मोटिवेशनल हिंदी कहानी।
एक गरीब परिवार का लड़का था ,जो अपने परिवार की तंग माली हालत देख पैसे कमाने के लिए शहर के लिए निकल पड़ा। वो अभी ट्रैन में कुछ घंटे का सफर ही तय किया था की उसे बहुत जोरो भुख लगी। वह अपने साथ ल्याए हुए टिफिन बॉक्स को अपने थैले से निकला खाने लगा ,उसके खाने का तरीका बड़ा अजीब तरह का था। वह रोटी के टुकड़े को टिफिन बॉक्स में इस दंग से डालता है की जैसे वह रोटी और सब्जी खा रहा हो ,परन्तु उसके पास सिवाय सुखी रोटी के कुछ भी नहीं था।
यह सब बगल में बैठे एक बूढ़े सह यात्री से जब देखा नहीं गया तो वह बोल पड़ा , बेटा मै काफी देर से देख रहा हूँ तुम्हरे पास सिर्फ रोटी परन्तु तुम रोटी को बार-बार टिफिन बॉक्स में ऐसे डुबो रहे हो जैसे की उसमे कुछ और खा रहे हो। यह सुन लड़के ने तपाक से जबाब दिया जी बिलकुल चाचा जी मै रोटी के साथ कुछ और भी खा रहा हूँ।
बूढ़ा ब्यक्ति -क्या ?
लड़का- में रोटी के साथ चटनी खा रहा हूँ, मुझे रोटी के टिफिन में डुबोने से चटनी का स्वाद आ रहा है।
बूढ़ा ब्यक्ति -बूढ़ा ब्यक्ति कुछ सोंचते हुए,ओ तो ठीक है पर जब तुम्हे मात्र सोचने से चटनी का स्वाद आ सकता हे तो , सिर्फ चटनी ही क्यों सोंचा कुछ और क्यों नहीं जैसे -शाही पनीर ,मटर पनीर ,मलाई कोफ्ता आदि।
सारांश - इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती हे की सोंच का हमरे जीवन में बड़ा ही महत्व पूर्ण स्थान है , हम जैसा सोंचते है हमें वैसा ही परिणाम मिलता है , इस लिए दोस्तों आप जब भी सोंचो कुछ बड़ा सोंचो , क्यूँ कि बड़ी सफ़लता पाने के लिए बड़ा सोचना पड़ेगा।
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