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Sunday, August 9, 2020

मूर्ख मित्र-और राजा | Foolish Friend-and King - Panchatantra





Moorakh Mittar-Panchtantra
मूर्ख मित्र- पंचतंत्र | Foolish Friend - Panchatantra 

मूर्ख मित्र-और राजा | Foolish Friend-and King - Panchatantra

एक समय की बात है , एक राजा के राजमहल में एक बन्दर सेवक के रुप में रहता था । वह राजा का काफी विश्वास-पात्र सेवक था । अतः वह बेरोक-टोक कुछ भी कर सकता था ।
एक दिन जब राजा बिश्राम कर रहा था, तथा बन्दर पंखा झल रहा था ठीक उसी समय बन्दर ने देखा कि, एक मधु-मक्खी बार-बार राजा की छाती पर बैठ जाती है । पंखे से बार-बार हटाने पर भी वह मानती नहीं है, बार-बार घुम-फिर कर वहीं बैठी जाती है ।

इस पर बन्दर को बड़ा क्रोध आया । उसने पंखा छोड़ कर हाथ में तलवार उठा लीया, और जैसे ही इस बार जब मधु-मक्खी राजा की छाती पर बैठने ही वाली थी कि उसने पूरे ताकत से मधु-मक्खी पर तलवार का वार कर दिया । मक्खी तो उड़ गई, परन्तु राजा की सीना तलवार की वार से घायल हो गया । जिससे राजा की मौके पे ही मृत्यु हो जाता है


शारांस - इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की "एक विद्वान शत्रु एक मूर्ख मित्र से बेहतर होता है।"

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