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Sunday, August 30, 2020

बेवकूफ साधू और लालची ठग की कहानी -पंचतंत्र

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एक समय की बात है, किसी गाँव के मंदिर में देव ब्रत नाम का एक बिद्वान महात्मा रहते थे। गांव में सभी लोग उनकी इज्जत व सम्मान करते थे। उन्हें अपने भक्त-जनो से दान के रूप में अनेक प्रकार के कपड़े, उपहार, खाद्य सामग्री और रुपये-पैसे मिला करते थे। उन उपहारों को बेचकर साधू बहुत सारा धन एकत्रित कर रखा था।
साधू महराज कभी भी किसी पर विश्वास नहीं करते और हमेशा अपने धन की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते थे। वह अपने धन को एक पोटली में बांध कर रखते और उसे हमेशा अपने साथ लेकर ही चला करते थे।
उसी गाँव में एक ठग भी रहता था। ठग की नजर बहुत दिनों से साधू के धन पर लगी थी। वह हमेशा मौका पाकर साधू का पीछा किया करता था, किन्तु  साधू उस गठरी को कभी अपने से अलग नहीं होने देते थे।
एकदिन, उस ठग ब्यक्ति ने एक छात्र का रूप बनाया और उस साधू के पास गया। उसने साधू से प्रार्थना की कि वह उसे अपना शिष्य बना ले क्योंकि वह पढ़ना चाहता है। साधू तैयार हो गये और इस तरह से वह ठग साधू के साथ ही मंदिर में रहने लगता है ।
ठग ब्यक्ति मंदिर की साफ-सफाई से लेकर अन्य सभी जरुरी काम भी बहुत मन लगा कर करता था, तथा वह साधू की बहुत मन से सेवा की और जल्दी ही साधु का विश्वासपात्र बन जाता है।
एक दिन साधू जी को पास के ही एक गांव में एक पूजा -पाठ  के लिए आमंत्रित किया गया, साधू ने वह आमंत्रण स्वीकार करते हुए निश्चित दिन अपने शिष्य को लेकर अनुष्ठान में भाग लेने के लिए चल पड़ते है।
रास्ते में ही एक नदी पड़ी और साधू ने स्नान करने की इच्छा जताई। उन्होंने पैसों की गठरी को एक कम्बल के भीतर रखकर उसे नदी के एक किनारे पर रख देते है। उन्होंने उस ठग से अपने सामान की रखवाली करने को कहा तथा नहाने चले  गये । ठग को तो मनो कब से इसी घड़ी   की प्रतीक्षा थी। जैसे ही साधू जी नदी में डुबकी लगाने गए, वह रुपयों से भरा गठरी लेकर नौदोग्यारह हो गया।

इस कहानी से शिक्षा:- 

इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की , हमें किसी भी अजनबी की चिकनी चुपड़ी बातों में आकर ही उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए बल्कि बिस्वास करने से पहले सही तरह से जांच प्रताल भी कर लेनी चाहिए ।


मोटिवेशनल कहानी के लिए निचे दिए गए लिंक पे क्लीक करें। 

मूर्ख मित्र-और राजा-


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