क्या तुम्हारी प्रार्थना अधूरी है ?
मै आज इस ब्लॉग में "प्रार्थना" [Prayer] पे चर्चा करने वाला हूँ , अगर आपकी भी मन्नत, प्रार्थना [Wish] पूरी नहीं हो रही है तो इस लेख को ध्यान पूर्वक से पढ़े।
सबसे पहले हम प्रार्थना को समझते हैं, प्रार्थना [prayer] वह प्रक्रिया है जिसे हम इस ब्रह्माण्ड [universe] से जुड़ सकते हैं , इसे आप भले ही किसी भी रूप में देखते हो जैसे भगवान [God]-अल्लाह [Allah] या फिर जिस भी नाम से आप जानते हैं , नाम चाहे कुछ हो पर कुछ तो है जो इस पुरे ब्रह्माण्ड को चलता है , और उसी अज्ञात शक्ति से जुड़ने का नाम 'प्रार्थना' है।
तो जानते है "प्रार्थना" में होता क्या है? प्रार्थना में दो चीज़ो की जरुरत पड़ती है सोंच या विचार और भावना [thoughts and emotion] तो विज्ञानं यह कहता है की हमारे विचारो की जो तरंगे है ओ विद्युतीय [Electric] तरंगे हैं और हमारी भाव की जो तरंगे है ओ चुम्बकीय [Magnetic] तरंगे है, इस प्रकार इलेक्ट्रिक और मेग्नेट मील कर हमारे शरीर के चारो तरफ "इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फिल्ड" बनाते हैं, जिसे "औरा" भी कहते हैं। ये सिर्फ कल्पना नहीं है बल्किआज के समय में विज्ञानं [Science] ऐसी तकनीक विकसित कर चूका है जिससे इसे नापा [measure] भी जा सकता है।
तो इस प्रकार से जिस तरह विचार होंगे उस तरह का हमारा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फिल्ड होता है, अगर हम बल के लिए प्रार्थना करते हैं तो हमारा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फिल्ड अलग तरह का होता है,यदि समृद्दि के लिए हम प्रार्थना करते हैं तो हमरा औरा अलग होता है। और जिस तरह का हमारा औरा होता है उसी तरह की घटनाएं हम हमारे जीवन में आकर्षित करते हैं। इलेक्ट्रिक यानि विचारो के माध्यम से ब्रह्माण्ड को हम मैसेज भेजते हैं और दिल या हमारी भावनावो के माध्यम से हम अपने जीवन में उन्हें आकर्षित करते हैं। तो यदि विचार या भावना इनमे से कोई भी एक चीज़ के बिना हमारी प्रार्थना पूरी नहीं होगी।
तो प्रार्थना [prayer] के लिए क्या उपाय है? इसके लिए एक ही उपाय है आपका पूरा इन्वॉल्मेंट [involvement] यदि आपके पास समय न हो तो इसे कर्म-कांड की तरह न करें और जब भी आप अपने भगवन को याद करे तो पूरी सम्पुरता की तरह करें समर्पित भाव से ,ताकि भाव जागने लगे यदि फिर भी नहीं हो रहा तो कल्पना का सहारा ले यह कल्पना करे की वह आपके आस-पास ही है और अपना आशीर्वाद आप पर बरसा रहा है। यैसा करने से हमारा भाव जागने लगेगा, यैसा इस लिए होता हमारा दिमाग वास्तविकता और कल्पना में फर्क नहीं कर पता है।
यह ठीक यैसे होता है जैसे मनो आप अपना पसंदीदा सिनेमा देख रहे हो और उसके किसी किरदार के जगह अपने आप को देखने या महसूस करने लगते हैं , जैसे ही आपके विचार के अनुसार भाव जागेगा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फिल्ड पूरा हो जायेगा और आपकी प्रार्थना सुन ली जाएगी।
मुझे पता है ज्यादातर लोग कल्पता को नहीं मानते हैं , पर यह उनकी गलतफमी है इस दुनिया में बीना कल्पना के कुछ भी संभव नहीं है। यहा तक की हम सुबह उठ कर सबसे पहले अपनी दिचर्या करते हैं उसके बाद उसके अनुसार हम अपने दिन को जीते हैं , यहाँ तक की हवाई जहाज जैसी चीज़ भी कभी किसी की कल्पना में ही था पर हम आज उसमे उड़ान भर सकते हैं।
सारांश :- कल्पना में वह ताकत है जिसे हम अपने प्रार्थना को भगवांन तक पहुंचा सकते हैं और उसे जीवंत कर सकते हैं , तो आपभी इस कल्पना की शक्ति उपयोग करें और अपने सपनो को पूरा करें।
धन्यबाद !
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