Self-Awareness मतलब अपने स्वंम के प्रति जागरूक होना है। आत्म-जागरूकता अपने personality, actions, values, beliefs, emotions, and thoughts के बारे में जागरूक होना है। नॉर्मली हम अपने दिनचर्या का ज्यादातर समय रोबोट [robot] की तरह बिता देते हैं, या यूँ कहे की हमारे जीवन का ज्यादातर हिस्सा auto-mode में चलता रहता है तो गलत नहीं होगा। पृथ्वी पर इंसान ही मात्र एक यैसा प्राणी है जो अपने विचारो, भावनावो के प्रति जागरूक रह कर उसमे सुधार कर सकता है या कंट्रोल कर सकता है , इसी लये मनुष्य धरती पर सबसे ताकतवर प्राणी है।
Benefits of Self-awareness आत्म-जागरूकता के लाभ।
सेल्फ-अवेर्नेस से हम अपने अवचेतन मन [subconscious mind] के भावनाओ को समझ सकते हैं। नार्मली हमारे अवचेतन मन में हर समय हमारे विचार व भावनाये घटित होती रहती है जिसका हमारे एक्शन पे प्रभाव पड़ता है हमारा अवचेतन मन ही हमारे काम करने के तरीको को कंट्रोल करता है। जिससे आत्म-जागरूकता के माध्यम से समझ कर उसे अपने अनुरूप सही दिशा दे सकते हैं। दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह है की हम अपने thought और action तथा emotions और expression को ठीक कर सकते है। प्रायः हमारे अवचेतन मन [subconscious mind] और विचार व भावनाओ में दुरी नहीं होती है जिसे हम आत्म-जागरूकता के नियमित अभ्यास के माध्यम से उसे पकड़ कर उसमे सुधार कर सकते हैं।
प्रायः हमारा जीवन बिना ब्रेक के गाड़ी की तरह से चलता रहता है हमरा अपने विचारो पर कोई कण्ट्रोल नहीं होता है जिससे अनजाने में हम गलतियां करते रहते है , जैसे कुछ बोल कर बाद में पछताते है। हमरा मन व भावनाये हमें अपने इशारे पर नाचते रहते हैं, हमारा हमारे जीवन पर कोई कण्ट्रोल नहीं होता। सेल्फ-अवेर्नेस के माध्यम से हमारे विचार व भावनाओ का हमारे अवचेतन मन के बिच दुरी बना सकते है जिससे अपने अनुसार हम उसे ढाल सकते, क्या अच्छा है और क्या बुरा है हमें बता लगने लगता है। यदि मन में कोई विचार आता है तो हम तय करते है की उसे ब्यक्त करना चाहिए या नहीं इस प्रकार कई सारी समस्याओ से अपने आपको बचा सकते हैं।
तीसरी सबसे बड़ा लाभ यह होता है की जब हम अपने Thought व Emotion को अपने बस में करने लगते है तो हमारा बहुत सारा ऊर्जा बचने लगती है, यही ऊर्जा हमरे औरा [electromagnetic] को मजबूत बनती है जिससे हमारा ओजस बढ़ता है, और हमारे चेहरे पर एक चमक आ जाती है जिससे दूसरे लोग प्रभावित होते हैं। हमरे विचार हमारे काम करने के तरीको में एक नए तरह का चमत्कारी परिवर्तन व मजबूती आ जाती है।
तो इस प्रकार से हम अपने जीवन को आत्म-जागरूकता [Self-Awareness] से बेहतर बना सकते हैं तथा उचे अस्तर पर उठा सकते हैं।
आत्म-जागरूकता [Self-Awareness] की प्रैक्टिस कैसे की जाये ?
आत्म-जागरूकता [Self-Awareness] की प्रैक्टिस बिल्कुल ही आसान है इसके लिए बस एक ही चीज़ की जरुरत है ओ है प्रतिबद्धता [commitment] और अपने दिनचर्या के कामो में अपने होश को जोड़ देना है। जैसे आम तौर पर हम पानी पीते है तो कही विचरो में खोये होते हैं , आपको पानी को पीते समय पूर्यतः महसूस करना है, उसे ध्यान से देखना है फिर मुँह तक लयाना है और गले के रास्ते पानी कैसे हमरे भीतर जाता है ये महसूस करना है। इसी प्रकार कहते समय नहाते समय या दैनिक जीवन के हर काम को आत्म-जागरूकता के साथ देखना है , यदि खाली बैठे है तो अपने विचारो व इमोशन की साक्षी भाव से देखिये की कैसे विचार आरहे है और उनका आपके मन पर क्या प्रभाव पड़ता है, बस देखना है उनसे छेड़-छाड़ नहीं करना है और नहीं उन्हें बदलने की कोशिश करना है। इस प्रकार से आपके अवचेतन मन [subconscious mind] चेतन [conscious] होने लगेगा और आपके विचारो और मन के बीच एक प्रकार की दुरी बनने लगेगी।
धन्यबाद !
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