ईमानदार लकड़हारा | Bedtime Story – Honesty Is The Best Policy
एक समय बात है , लष्मणपुर नामक गांव में के ईमानदार लकड़हारा [Woodcutter] रहता था वह बेहद गरीब था , लेकिन साथ ही साथ काफी ईमानदार भी था। वह जंगल से लकड़ियां काटता था जिसे बाजार में बेच कर अपना गुज़ारा करता था। रहने के लिए बस एक टूटी फूटी झोपड़ी उसके पास थी।
एक दिन वह जंगल में नदी किनारे एक पेड़ से लकड़ी काट रहा था अचानक उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर जाती है जिससे वह काफी चिंतित हो जाता है क्यों की उसके पास मात्र कुल्हाड़ी थी जिसे वह लकड़ी काटकर अपना गुज़ारा करता था।
कोई उपाय न देख वह भगवान से पुरे मन से प्रार्थना करता है की हे भगवान मेरे कुल्हाड़ी मुझे मील जाये , प्रार्थना इतने मन से करता है की भगवन को उसके पास आना ही पड़ता है। भगवन को अपने पास देखकर लकड़हारा आँखों पे भरोसा ही नहीं होता है , उसे कुल्हाड़ी चाहिए थी , वह भगवन से कहता है की उसकी कुल्हाड़ी खोजने में उसकी मदद करें। भगवान अपने चमत्कार से एक चांदी की कुल्हाड़ी नदी से निकल कर लकडहारा के तरफ बढ़ाते हुए कहते हैं की ये लो अपनी कुल्हाड़ी, जिसे लकड़हारा ये कहकर लेने से मना करदेता है की ये उसकी कुल्हाड़ी नहीं है , फिर भगवान एक सोने की कुल्हाड़ी निकालते है जिसे भी लेने से वह मना करदेता है। इस प्रकार भगवन अंत में उसकी अपनी लोहे की कुल्हड़ी निकल कर देते है ख़ुशी-ख़ुशी लेता है।
भगवान ने लकड़हारे की ईमानदारी को देख कर इतना प्रसन्न होते है की चाँदी व सोने की दोनों कुल्हाड़ी लकडहारे को दे देते हैं , जिसे पाकर लकड़हारा काफी खुश होता है।
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